BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।

उत्तर-

स्त्रातेजी के सिद्धान्त
(The Principles of Strategy)

स्त्रातेजी के सम्बन्ध में युद्ध शास्त्रियों ने कुछ नियम निर्धारित किये हैं। वे नियम परस्पर बहुत मिलते-जुलते हैं। संक्षेप में इन नियम या सिद्धान्तों का वर्णन विद्वानों ने निम्न रूप में किया है -

1. क्लॉजविट्स के अनुसार (By Clausewitz ) - क्लॉजविट्ज द्वारा यह नियम इस प्रकार है-

(i) प्रयास पर ध्यान केन्द्रित करना (Concentration of effort )।

(ii) शत्रु की सेनाओं के विरोध में शक्तिशाली कार्यवाही करना।

(iii) लड़ाई का शीघ्र निर्णय करना।

उपरोक्त नियम सम्पूर्ण स्त्रातेजी के सिद्धान्तों के अन्तर्गत आते हैं।

2. लिडिल हार्ट के अनुसार (By Liddle Hart ) इनके अनुसार स्त्रातेजी के सिद्धान्त निम्नांकित है -

(i) शत्रु के दुर्बल स्थानों पर शक्तिशाली हमला करना।

(ii) शत्रु को अप्रत्यक्ष उपायों द्वारा इधर-उधर बिखरने हेतु विवश करना।

(iii) शत्रु को चकमा देना ताकि वह अप्रत्याशित कार्यवाही के क्षेत्र में कुछ भी करने में असमर्थ हो गये।

(iv) गौण क्षेत्रों में इस प्रकार की कार्यवाही करना ताकि स्वयं की विजय प्राप्त हो सके।

उपर्युक्त सिद्धान्त सम्पूर्ण स्त्रातेजी तथा कार्यवाही वाली योजना से सम्बन्धित है। इनको लगातार रूप में कार्यवाही करने से ही लाभ होता है, क्योंकि यह स्त्रातेजी के आधारभूत तत्व होते हैं-

स्त्रातेजी के आदर्श -स्त्रातेजी के आदर्श निम्नलिखित हैं-.

1. प्रत्यक्ष भय (direct threat )

2. अप्रत्यक्ष दबाव (indirect preasure ) |

3. कार्यवाहियों का निरन्तर क्रम (series of successive action )

4.   सुरक्षित संघर्ष परन्तु निम्न स्तर पर सैनिक कार्यवाही करना (a protected struggle, but a low level of military interuity) I

5. सैन्य सफलता के लिए भयानक संघर्ष (violent eouflect of military victory )

3. माओत्से तुंग के अनुसार (By Mao-Tse - Tung) -

1. शत्रु के सामने संगठित होकर पीछे होना।

2. यदि शत्रु पीछे हटता है तो स्वयं आगे बढ़ना।

3. स्त्रातेजी चालें चलते रहना।

4. शत्रु को बराबर चकमें में रखना।

5. सेना तथा सार्वजनिक महत्व के स्थानों से बराबर सम्पर्क को बनाये रखना।

इन निम्न की उपयोगिता करने पर ही है, क्योंकि ये युद्ध क्षेत्र से सम्बन्धित है।

4. लेनिन तथा स्टालिन के अनुसार -

(i) सारे युद्ध में राष्ट्र तथा सेना मनौवैज्ञानिक दृष्टिकोण से निकटतम रूप से जुड़े हुए है।

(ii) पृष्ठ भाग के क्षेत्र का महत्व है।

(iii) Economize (आर्थिक रूप का ध्यान )।

(iv) मनोवैज्ञानिक कार्यवाही द्वारा सैनिक कार्यवाहियों को मजबूत करना चाहिये।

इन सबका सम्बन्ध स्त्रातेजी से  होता है। यह स्त्रातेजी के कई आदर्शो पर लागू होती है।

इस प्रकार विभिन्न विद्वानों ने अपनी-अपनी अलग-अलग विचारधारायें दी है। सभी का सम्बन्ध स्त्रातेजी के क्रमबद्ध सिद्धान्त से है

उपर्युक्त नियमों के अध्ययन से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सभी विद्वानों ने अपने-अपने मतानुसार सिद्धान्त बताये हैं तथा वे अलग-अलग स्थितियों में अपना निर्देशन करते हैं। इस सिद्धान्त को सभी विद्वान नहीं मानते हैं वास्तविक स्त्रातेजी के नियम आर्थिक तथा शक्ति पर आधारित है। उनको साधारण रूप में ही दर्शाया गया है। स्त्रातेजी युद्ध में दो समान तथा परस्पर विरोधी उपाय होते हैं। प्रत्येक को पूर्ण तैयारियाँ करनी पड़ती है तथा वे कमजोर स्थानों पर अधिकार करना चाहते हैं। इसका उद्देश्य दुश्मन में भय उत्पन्न करना तथा उसे शक्तिहीन बनाना होता है। इस सभी सिद्धान्तों को मनोवैज्ञानिक कहा जाता है।

इस प्रकार किसी भी स्त्रातेजी के दो समान तथा महत्व वाले तथ्य होते है-

1. आक्रमण के लिए निर्णयात्मक बिन्दु का चुनाव,

2.   प्रारम्भिक चालों का चुनाव, जिसके द्वारा निर्णयात्मक बिन्दु द्वारा पहुँचा जा सकता है।

दोनों पक्षों को समान कार्यवाही करनी पड़ती है, अतः दोनों प्रारम्भिक चालों में संघर्ष कर सकते हैं। इसमें विजय वही प्राप्त करता है, जो शत्रु की चालों को रोकने में सफल हो जाता है। फोर्स की इसी कार्यवाही को 'कार्यवाही की स्वतन्त्रता का संचय' कहा जाता है। इस प्रकार दो विचारों का युद्ध कार्यवाही की स्वतन्त्रता के युद्ध में परिवर्तित हो जाता है।

यदि हमारी शक्ति शत्रु की अपेक्षा अधिक है, तो हम अपनी कार्यवाही को स्वतंत्रतापूर्वक कर सकते हैं तथा दुश्मन की चालों को निर्बल बना सकते है। इसके साथ-साथ अन्य साधनों को निर्णयात्मक आक्रमण के लिए सुरक्षित रखेंगे। परन्तु यह कार्य अप्रत्याशित ढंग से होता है तथा कभी-कभी पूर्ण भी हो जाता है और कभी अपूर्ण रह जाता है। इन सिद्धान्तों के अनुसार हम अपने साधनों को तीन भाग में विभक्त कर सकते हैं

1. शत्रु की शुरू की चालों से बचने के लिए।

2. अपनी आरम्भिक चालों को प्रायोगिक रूप देने के लिए।

3. अन्तिम तथा निर्णयात्मक आक्रमण के लिए।

फोश के इस आदर्श संयोग को 'शान्ति की मितव्ययिता' का नाम दिया है। उसके बाद लक्ष्य को पाने के लिए प्राय: हम निम्नलिखित सूत्र अपनाते हैं -

(i) कार्यवाही को स्वतन्त्रता रूप में करके।

(ii) श्रेष्ठ शक्ति को कम खर्च करके।

(iii) स्त्रातेजी चलाकर निर्णयात्मक बिन्दु तक पहुँचकर।

इस प्रकार यदि हम लाभदायक फल पाना चाहते हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हमें अपनी कम से कम हानि करके शत्रु को अधिक से अधिक हानि पहुँचाने का प्रयत्न करना चाहिये।

स्त्रातेजी निर्णय के तत्व
(Elements of Strategic Decision)

कोई भी स्त्रातेजिक निर्णय निम्नलिखित तीन सहयोगी तत्वों के आधार पर चलता है

1. समय (time)
2. स्थान ( place )

3. उपलब्ध सेना का आकार तथा उत्साह (the size and norale of forces available )

।. इसी से सम्बन्धित एक कठिन तत्व और है, जिसे चाल कहा जाता है। इसके द्वारा आदेश को परिस्थितियों के अनुसार प्रचारित किया जाता है। फिर भी प्रमुख तत्व निम्नाकिंत है-.

(1) चाल का तत्व
(2) चाल का नियम
(3) स्त्रातेजी का ढंग
(4) विभित्र योजनात्मक कार्य।

प्रत्येक कि व्याख्या निम्नांकित ढंग से की जा सकती है

(1) चाल के तत्व युद्ध के सम्बन्ध में यह तत्व बोलने की कला को ओर से रखा गया है अर्थात् विरोधी शक्तियों का परस्पर खेल है।

आक्रमणात्मक दृष्टिकोण के ये रूप इस प्रकार है

1. आक्रमण (Attack)
2. धमकी (Threat )
3. आश्चर्य ( Surprise)
4. धोखा (Deceive)
5. इच्छा (Thrust )
6. नीचे गिराना
7. पीछा करना (Follow up )

सुरक्षात्मक दृष्टिकोण के छः स्थितियाँ भी है-

1. On Guard 
2. Porty
3. Riposte
4. Disengage
5. Retire
6. Break off

सेनाओं के लिये पाँच प्रकार के निर्णय होते हैं-

1. Concentrate (केन्द्रीकरण)
2. Economize (आर्थिक रूप का ध्यान रखना)
3. Disperse ( हटना)
4. Increase (उन्नति या प्रगति)
5. Reduce ( कटौती

इस प्रकार उपर्युक्त तत्वों को स्थान तथा समय के अनुसार सजाया जाता है या दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि इनका प्रयोग किया जाता है। ये तत्व एक प्रकार के आधार की कार्यवाही करते हैं जिस पर की स्त्रातेजी चालें चली जाती हैं।

2. चाल का नियम- जब तक हमारे सामने चयन करने की समस्या आती है तब तक हमें कुछ सिद्धान्तों का अध्ययन भी करना पड़ता है। चाल के दो प्रमुख नियम है

(i) सेना की उचित स्थानीयकरण इसके अर्न्तगत जिस सेना का चुनाव किया जाता है। उसमें सेनायें अधिकतम प्रभाव प्रदर्शित करती है। इसका प्रमुख उद्देश्य शत्रु की सेनाओं को हराकर एकत्रीकरण का प्रयास करना होता है। ताकि शत्रु स्वत: ही अस्त्र-शस्त्र डाल दें। हमारी सेनाओं का मुख्य कार्य शत्रु के सुदृढ़ स्थान पर चोट करना होना चाहिए ताकि शत्रु शीघ्र टूट जाए। यह स्त्रातेजी क्लॉजविट्ज के सिद्धान्तों से उद्धृत की गई है।

(ii) छल की कार्यवाही (Guite) - इसका आधार निर्धारित कार्यवाही पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव का होना है। शत्रु को असन्तुलित करने के लिये समस्या का हल भली-भाँति निकालना चाहिए। इसके लिए अपनी सेनाओं को बिखेर दिया जाता है ताकि शत्रु भी ऐसा करें। इसका उद्देश्य शत्रु के दुर्बल बिन्दुओं को चोट पहुँचाने का होता है। यदि आवश्यक हो तो शत्रु के अनावश्यक तथा सहायक क्षेत्रों पर भी हमले कर दिया जाए। यह क्लॉजविट्ज की स्त्रातेजी के विरुद्ध है।

3. स्त्रातेजी का ढंग- जब हम कार्यवाहियों की योजना का अध्ययन करते हैं तो हमारे लिए आवश्यक हो जाता है कि हम साधारण स्थिति के ऊपर भी विचार कर लें। यह उस सिद्धान्त पर निर्भर करेगा। जिसके द्वारा दोनों पक्षों की तुलनात्मक स्थिति में अधिक विकट रूप से प्रयोग किया जा सकेगा। चाल की स्त्रातेजी के आदर्श निम्नांकित हैं-

1. प्रत्यक्ष धमकी (Direct threat )
2. अप्रत्यक्ष दबाव ( In direct threat )
3. सफलतम कार्यवाही का श्रम ( A series of successive action )
4. भयानक संघर्ष (Violent Conflict )
5. सुरक्षात्मक संघर्ष ( A protected struggle)

उपयुक्त पाँचों आदर्शो को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-

1. प्रत्यक्ष स्त्रातेजी (Direct strategy )
2. अप्रत्यक्ष स्त्रातेजी (Indirect Strategy )।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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